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TANTRA ASTROLOGY REMEDIES

पर्स में नहीं रखना चाहिए ऐसी चीजें, क्योंकि

पर्स में नहीं रखना चाहिए ऐसी चीजें, क्योंकि

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पैसों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए शास्त्रों के अनुसार कई कार्य और नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने पर व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है। सामान्यत: सभी के पास पर्स अवश्य ही रहता है। पर्स और हमारी आर्थिक स्थिति का गहरा संबंध है। यदि पर्स व्यवस्थित और स्वच्छ होगा तो यह आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।

रुपए-पैसों को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने का कार्य हमारे पर्स बखूबी निभाते हें। हर परिस्थिति में आपके नोट पर्स में सही ढंग से रखे रहते हैं। जिससे उनके कटने या फटने का डर नहीं रहता। पर्स में पैसा रखा जाता है अत: इस संबंध में वास्तु द्वारा कई महत्वपूर्ण टिप्स दी गई हैं। जिन्हें अपनाने पर व्यक्ति को भी धन की कमी का एहसास ही नहीं होता है।

वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसी वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा को संचारित करती हैं। पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने चाहिए। इसके साथ ही पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें। जो वस्तुएं फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुओं को तुरंत ही पर्स से बाहर कर देना चाहिए। इनके अतिरिक्त पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जिन्हें देखकर हमारा मन प्रसन्न होता है।

खाने-पीने की चीजें भी पर्स में नहीं रखना चाहिए। जैसे पाउच, चॉकलेट्स आदि। पर्स में दवाइयां भी नहीं रखनी चाहिए।

घरों में देवी-देवताओं का मंदिर अवश्य ही होता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन नियमित रूप से घर के मंदिर में पूजा-पाठ करता है उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। हर सुबह इनकी पूजा करनी चाहिए लेकिन यदि आप घर से कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर जाते हैं तो घर के देवताओं का पूजन और दर्शन नहीं कर पाते हैं।

यदि आप कहीं बाहर जाते हैं तब घर के मंदिर में रखी देवी-देवीताओं की मूर्तियों की पूजन और दर्शन नहीं हो पाता है। ऐसे में आपको अपने पर्स में मंदिर में रखें देवी-देवताओं की फोटो रखनी चाहिए। पर्स में फोटो रखेंगे तो बाहर रहने पर भी आप घर के भगवान के दर्शन अवश्य कर सकेंगे। ऐसा करने से भगवान की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी।

पर्स में घर के देवी-देवताओं की फोटो रखने से आपके साथ हमेशा ही सकारात्मक और दैवीय ऊर्जा रहेगी। जिससे आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। पैसों की समस्या नहीं रहेगी। इसके साथ वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा या शक्तियां आप पर बुरा प्रभाव नहीं डाल सकेंगी।

ध्यान रखें पर्स में देवी-देवताओं की फोटो रखें तो खुद को अपवित्र स्थानों से दूर रखें और अधार्मिक कर्मों से बचें। पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें। देवी लक्ष्मी के पूजन में रखे हुए गौमती चक्र को पूजा के बाद पर्स में रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। महालक्ष्मी की प्रतीक पीली कौडिय़ां पर्स में रखी जा सकती है। यह भी धन को आपकी ओर आकर्षित करती हैं।

आप के मूलांक और आप के पर्स में रखे नोट के रंग, सिक्कों में प्रयुक्त धातु आदि के मध्य सामंजस्य बैठा कर भी धन वृद्धि की जा सकती है. यदि आप चाहते हैं कि आपका वॉलेट हमेशा रुपयों से भरा रहे तो इन उपायों का लाभ ले सकते हैं:सभी चाहते हैं कि उनका पर्स हमेशा पैसों से भरा रहे और फिजूल खर्च न हो। ज्यादा पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ अच्छी किस्मत भी महत्व रखती है। कुछ परिस्थितियों में मेहनत के बाद भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो पाता या खर्चों की अधिकता की वजह से बचत नहीं हो पाती।

पैसा रखने के लिए सभी के पास पर्स रहता है, अत: पर्स के संबंध में एक सटीक उपाय है जिसे अपनाने से कभी भी आपका पर्स खाली नहीं रहेगा। साथ ही फिजूल खर्चों में कमी आएगी। इस उपाय में आपको किसी भी शुभ मुहूर्त या अपने जन्म दिन पर माता-पिता से एक नोट पर केसर से तिलक लगवाएं। नोट कैसा भी हो सकता है बड़ा या छोटा। केसर का तिलक लगवाने के बाद माता-पिता के चरण स्पर्श करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

आपके अपने मूलांक अनुसार ऐसा हो आपका पर्स

============================== मूलांक 1 (1,10,19,28)

अपने लाल रंग के वॉलेट या पर्स में एक 100 और 20 रुपये के एक एक नोट तथा 1 रुपये के सात नोट को नारंगी रंग के कागज में रखें. एक ताम्बे का सिक्का भी रखें।

मूलांक 2 (2,11,20,29)

अपने सफेद रंग के वॉलेट या पर्स में एक रुपये के दो और 20 रुपये का एक नोट चाँदी की तार में लपेट कर रखें. एक चान्दी का सिक्का भी रखें.

मूलांक 3 (3,12,21,30)

अपने पीले या मेहन्दी रंग के वॉलेट या पर्स में दस रुपये के तीन नोट तथा 1 रूपये के तीन नोट को पीले रंग के कागज में रखें. एक गोल्डन फॉइल का तिकोना टुकडा भी रखें.

मूलांक 4 (4,13,22,31)

अपने भूरे रंग के वॉलेट या पर्स में दस रुपये के दो और 20 रुपये का दो नोट चन्दन का इत्र लगाकर रखें. अपने घर की चुट्की भर मिट्टी भी रखें.

मूलांक 5 (5,14,23)

अपने हरे रंग के वॉलेट या पर्स में पाँच रुपये का एक और 10 रुपये के पाँच नोट एक हरे कागज में रखें. एक बेल का पत्ता भी रखें.

मूलांक 6 (6,15,24)

अपने चमकीले सफेद रंग के वॉलेट या पर्स में पाँच सौ रुपये का और 100 रुपये का एक एक नोट तथा 1 रुपये के छ: नोट को सिल्वर फॉइल में रखें. एक पीतल का सिक्का भी रखें.

मूलांक 7 (7,16,25)

अपने बहुरंगी वॉलेट या पर्स में एक रुपये के सात और 20 रुपये का एक नोट नारंगी रंग के कागज में रखें. एक मछली का चित्र अंकित किया हुआ सिक्का भी रखें.

मूलांक 8 (8,17,26)

अपने नीले रंग के वॉलेट या पर्स में 100 रुपये का एक और 20 रुपये के चार नोट नीले रंग के कागज में रखें. एक मोर पंख का टुकडा भी रखें.

मूलांक 9 (9,18,27)

अपने नीले और नारंगी रंग के वॉलेट या पर्स में पाँच रुपये का एक और दो रुपये के दो नोट चमेली का इत्र लगे नारंगी रंग के कागज में रखें. एक पीतल का सिक्का भी रखें.

यदि आप भी किसी ग्रह बाधा से पीडि़त हैं और आपके पर्स में अधिक समय तक पैसा नहीं टिकता तो निम्र उपाय करें-

किसी भी शुभ मुहूर्त या अक्षय तृतीया या पूर्णिमा या दीपावली या किसी अन्य मुहूर्त में सुबह जल्दी उठें। सभी आवश्यक कार्यों से निवृत्त होकर लाल रेशमी कपड़ा लें। अब उस लाल कपड़े में चावल के 21 दानें रखें। ध्यान रहें चावल के सभी 21 दानें पूरी तरह से अखंडित होना चाहिए यानि कोई टूटा हुआ दान न रखें। उन दानों को कपड़े में बांध लें। इसके बाद धन की देवी माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजन करें। पूजा में यह लाल कपड़े में बंधे चावल भी रखें। पूजन के बाद यह लाल कपड़े में बंधे चावल अपने पर्स में छुपाकर रख लें।

ऐसा करने पर कुछ ही समय में धन संबंधी परेशानियां दूर होने लगेंगी। ध्यान रखें कि पर्स में किसी भी प्रकार की अधार्मिक वस्तु कतई न रखें। इसके अलावा पर्स में चाबियां नहीं रखनी चाहिए। सिक्के और नोट अलग-अलग व्यस्थित ढंग से रखे होने चाहिए। किसी भी प्रकार की अनावश्यक वस्तु पर्स में न रखें। इन बातों के साथ ही व्यक्ति को स्वयं के स्तर भी धन प्राप्ति के लिए पूरे प्रयास करने चाहिए।

===== अपनी राशी के अनुसार रखे पर्स का रंग…लाभ होगा जेसे..—–

—-मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ होगा

—-.वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा

—-मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग व सफ़ेद रंग का प्रयोग करते है तो मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे.

—— कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को तो हमेशा हरा रंग और सफ़ेद रंग का प्रयोग अपने पर्स में करना लाभदायक रहेगा.

वास्तु अनुसार रखें अपना पर्स —–

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घर का वास्तु, ऑफिस का वास्तु, आपकी कार का वास्तु, हर चीज में जब आप वास्तु का ध्यान रखते आएं हैं तो पर्स में वास्तु का ख्याल क्यों नहीं रखा जा सकता? जिस तरह हमारे आसपास का वातावरण हमें प्रभावित करता है। उसी प्रकार हमारा बैग या पर्स भी हमें प्रभावित करता है।तो आइये जानते हैं कि कैसे अपने बैग को वास्तु के अनुसार रखकर उसमें धन की बरकत बड़ा सकते हैं।

सभी चाहते हैं कि उनका पर्स हमेशा पैसों से भरा रहे और फिजूल खर्च न हो। ज्यादा पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ अच्छी किस्मत भी महत्व रखती है। कुछ परिस्थितियों में मेहनत के बाद भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो पाता या खर्चों की अधिकता की वजह से बचत नहीं हो पाती।

हमारे जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों का संबंध वास्तु से है। पर्स में पैसा रखा जाता है अत: इस संबंध में वास्तु द्वारा कई महत्वपूर्ण टिप्स दी गई हैं। जिन्हें अपनाने पर व्यक्ति को भी धन की कमी का एहसास ही नहीं होता है।

जो वस्तु नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं उन्हें हमारे आसपास से हटा देना चाहिए। क्योंकि इनसे हमारे सुख और कमाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आय बढ़ाने फिजूल खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है।

कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता है इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें। जो वस्तुएं फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें।

आखिर पर्स का ही वास्तु क्यों?

========================= क्योंकि मेरे विचार से हम सब के जीवन में पर्स एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है. जैसे मासिक वेतन मिला तो गया पर्स में अर्थात पूरे महीने की आमदनी को हमने पर्स के हवाले कर दिया. वस्तुओं के खरीद-फरोख्त में भी पर्स सामने आता है किसी वस्तु को खरीदने से नुक्सान हुआ तो किसी में फायदा हुआ या कभी पर्स पाकेटमार ने पार कर दिया तो कभी पर्स में रखे धन की बरकत खत्म हो जाती है सुबह रुपये रखो और शाम आते ही पर्स खाली. इन्हीं बातो को ध्यान में रख कर यदि हम पर्स को वास्तु के नियमों के अनुसार रखे तो हमे पर्स के द्वारा भी बरकत मिल सकती है और धन के नुक्सान से बच सकते है.

पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत: इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें।

पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना जाता है। पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जिन्हें देखकर मन प्रसन्न होता है ।

इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।

एक जमानें में तिजौरी का घर,दूकान आदि में बड़ा महत्व होता था क्यों ? क्योंकि वही एकमात्र धन को संग्रह करने का स्थान था. समय बीता और तिजौरी का स्थान धीरे धीरे हटने लगा,परिणाम स्वरूप आज तिजौरी बहुत कम यदा-कदा ही मिलती है. वास्तु में तिजौरी का वर्णन मिलता है. पिछले कई वर्षो से पर्स का चलन बड़ने लगा है और पर्स महिलाओं के हाथ में होना एक फैशन का रूप भी बन गया है. पुरुष वर्ग भी पर्स के बिना धन नहीं रखते. मेरे अनुभव में तिजौरी और पर्स में कोई विशेष अन्तर नहीं रहा. दैनिक कार्यों में पर्स की महत्ता ज्यादा है, आपके पर्स का आकार, रंग आपके पर्स में रखे हुए सामान आपके जीवन में होने वाली छोटी से छोटी घटना के सूचक होते है.

—–वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा को संचारित करती हैं।

—–पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने चाहिए।

—– अपने पर्स में एक लाल रंग का लिफाफा रखें। इसमें आप अपनी कोई भी मनोकामना एक कागज में लिख कर रखें। वह शीघ्र पूरी होगी।

—–बैग में लाल रेशमी धागे से एक गांठ बांध कर रखें।

——बैग में शीशा और छोटा चाकु अवश्य रखें।

——- बैग में रुपये पैसे जहां रखते हों वहां पर कौड़ी या गोमती चक्र अवश्य रखें।

—— चाबी को छल्ले में डाल कर रखें। यदि इस छल्ले में लाफिंग बुद्धा या अन्य कोई फेंगशुई का प्रतीक अच्छा रहता है।

—— पर्स में किसी भी प्रकार का पिरामिड रखें। यह आपके लिए लाभदायक होगा।

—–.रात्री में सोते समय पर्स कभी भी सिरहाने ना रख कर उसे हमेशा अलमारी में रखें.

—–.पर्स में रूपये कभी भी मोड या फोल्ड कर ना रखे.

——.पर्स में कभी भी रुपयों के साथ कोई बिल-रसीद या टिकट ना रखे इससे विवाद बड़ता है .

——-पर्स में सिक्कों की व्यवस्था अलग हो तथा बंद कर के रखें पर्स खोलते समय सिक्का नीचे नहीं गिरना चाहिये.इससे अपव्यय बढता है.

——.अपने पर्स में किसी पूर्णिमा को लाल रेशमी कपडे में चुटकी भर या २१ दाने अखंडित चावल बाँध कर छुपा कर रखने से बेवजह खर्च नहीं होता है.

===== अपनी राशी के अनुसार रखे पर्स का रंग…लाभ होगा जेसे..—–

—-मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ होगा

—-.वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा

—-मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग व सफ़ेद रंग का प्रयोग करते है तो मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे.

—— कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को तो हमेशा हरा रंग और सफ़ेद रंग का प्रयोग अपने पर्स में करना लाभदायक रहेगा

Event Date : 05-Jul-2021

विभिन्न ऋण और पितृ दोष

विभिन्न ऋण और पितृ दोष
हमारे ऊपर मुख्य रूप से 5 ऋण होते हैं जिनका कर्म न करने (ऋण न चुकाने पर ) हमें निश्चित रूप से श्राप मिलता है। ये ऋण हैं : मातृ ऋण ,पितृ ऋण, मनुष्य ऋण ,देव ऋण और ऋषि ऋण।

मातृ ऋण - माता एवं माता पक्ष के सभी लोग जिनमें मां, मामी, नाना, नानी, मौसा, मौसी और इनके तीन पीढ़ी के पूर्वज होते हैं ,क्योंकि मां का स्थान परमात्मा से भी ऊंचा माना गया है। अतः यदि माता के प्रति कोई गलत शब्द बोलता है अथवा माता के पक्ष को कोई कष्ट देता रहता है, तो इसके फलस्वरूप उसको नाना प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। इतना ही नहीं, इसके बाद भी कलह और कष्टों का दौर भी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है।

पितृ ऋण - पिता पक्ष के लोगों जैसे बाबा ,ताऊ ,चाचा, दादा-दादी और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का श्राप हमारे जीवन को प्रभावित करता है। पिता हमें आकाश की तरह छत्रछाया देता है। हमारा जिंदगी भर पालन -पोषण करता है और अंतिम समय तक हमारे सारे दुखों को खुद झेलता रहता है। पर आज के के इस भौतिक युग में पिता का सम्मान क्या नयी पीढ़ी कर रही है? पितृ -भक्ति करना मनुष्य का धर्म है, इस धर्म का पालन न करने पर उनका श्राप नयी पीढ़ी को झेलना ही पड़ता है। इसमें घर में आर्थिक अभाव, दरिद्रता, संतानहीनता, संतान को विभिन्न प्रकार के कष्ट आना या संतान अपंग रह जाने से जीवन भर कष्ट की प्राप्ति आदि होती है।

देव ऋण - माता-पिता प्रथम देवता हैं, जिसके कारण भगवान गणेश महान बने | इसके बाद हमारे इष्ट भगवान शंकर जी, दुर्गा मां, भगवान विष्णु आदि आते हैं, जिनको हमारा कुल मानता आ रहा है। हमारे पूर्वज भी भी अपने अपने कुल देवताओं को मानते थे, लेकिन नयी पीढ़ी ने बिलकुल छोड़ दिया है। इसी कारण भगवान /कुलदेवी /कुलदेवता उन्हें नाना प्रकार के कष्ट /श्राप देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं।

ऋषि ऋण - जिस ऋषि के गोत्र में पैदा हुए, वंश वृद्धि की, उन ऋषियों का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने में नयी पीढ़ी कतराती है। उनके ऋषि तर्पण आदि नहीं करती है। इस कारण उनके घरों में कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। इसलिए उनका श्राप पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त होता रहता है।

मनुष्य ऋण - माता -पिता के अतिरिक्त जिन अन्य मनुष्यों ने हमें प्यार दिया, दुलार दिया, हमारा ख्याल रखा, समय समय पर मदद की, गाय आदि पशुओं का दूध पिया जिन अनेक मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों ने हमारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की, उनका ऋण भी हमारे ऊपर हो गया, लेकिन लोग आजकल गरीब, बेबस, लाचार लोगों की धन संपत्ति हरण करके अपने को ज्यादा गौरवान्वित महसूस करते हैं। इसी कारण देखने में आया है कि ऐसे लोगों का पूरा परिवार जीवन भर नहीं बस पाता है। वंशहीनता, संतानों का गलत संगति में पड़ जाना, परिवार के सदस्यों का आपस में सामंजस्य न बन पाना, परिवार कि सदस्यों का किसी असाध्य रोग से ग्रस्त रहना इत्यादि दोष उस परिवार में उत्पन्न हो जाते हैं।

ऐसे परिवार को पितृ दोष युक्त या शापित परिवार कहा जाता है। रामायण में श्रवण कुमार के माता -पिता के श्राप के कारण दशरथ के परिवार को हमेशा कष्ट झेलना पड़ा। ये जग -ज़ाहिर है इसलिए परिवार कि सर्वोन्नती के पितृ दोषों का निवारण करना बहुत आवश्यक है।

पितृ दोष के ज्योतिषीय योग:

बृहतपराशर होरा शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में 14 प्रकार के शापित योग हो सकते हैं. जिनमें पितृ दोष, मातृ दोष, भ्रातृ दोष, मातुल दोष, प्रेत दोष आदि को प्रमुख माना गया है. इन शाप या दोषों के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य हानि, आर्थिक संकट, व्यवसाय में रुकावट, संतान संबंधी समस्या आदि का सामना करना पड़ सकता है. पितृ दोष के बहुत से कारण हो सकते हैं. उनमें से जन्म कुण्डली के आधार पर कुछ कारणों का उल्लेख किया जा रहा है जो निम्नलिखित हैं

जन्म कुण्डली के पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें या दसवें भाव में यदि सूर्य-राहु या सूर्य-शनि एक साथ स्थित हों तब यह पितृ दोष माना जाता है. इन भावों में से जिस भी भाव में यह योग बनेगा उसी भाव से संबंधित फलों में व्यक्ति को कष्ट या संबंधित सुख में कमी हो सकती है.

सूर्य यदि नीच का होकर राहु या शनि के साथ है तब पितृ दोष के अशुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है. किसी जातक की कुंडली में लग्नेश यदि छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है और राहु लग्न में है तब यह भी पितृ दोष का योग होता है.

जो ग्रह पितृ दोष बना रहे हैं यदि उन पर छठे, आठवें या बारहवें भाव के स्वामी की दृष्टि या युति हो जाती है तब इस प्रभाव से व्यक्ति को वाहन दुर्घटना, चोट, ज्वर, नेत्र रोग, ऊपरी बाधा, तरक्की में रुकावट, बनते कामों में विघ्न, अपयश की प्राप्ति, धन हानि आदि अनिष्ट फलों के मिलने की संभावना बनती है.

1. लग्नेश की अष्टम स्थान में स्थिति अथवा अष्टमेष की लग्न में स्थिति।

2. पंचमेश की अष्टम में स्थिति या अष्टमेश की पंचम में स्थिति।

3. नवमेश की अष्टम में स्थिति या अष्टमेश की नवम में स्थिति।

4. तृतीयेश, यतुर्थेश या दशमेश की उपरोक्त स्थितियां। तृतीयेश व अष्टमेश का संबंध होने पर छोटे भाई बहनों, चतुर्थ के संबंध से माता, एकादश के संबंध से बड़े भाई, दशमेश के संबंध से पिता के कारण पितृ दोष की उत्पत्ति होती है।

5. सूर्य मंगल व शनि पांचवे भाव में स्थित हो या गुरु-राहु बारहवें भाव में स्थित हो।

6. राहु केतु की पंचम, नवम अथवा दशम भाव में स्थिति या इनसे संबंधित होना।

7. राहु या केतु की सूर्य से युति या दृष्टि संबंध (पिता के परिवार की ओर से दोष)।

8. राहु या केतु का चन्द्रमा के साथ युति या दृष्टि द्वारा संबंध (माता की ओर से दोष)। चंद्र राहु पुत्र की आयु के लिए हानिकारक।

9. राहु या केतु की बृहस्पति के साथ युति अथवा दृष्टि संबंध (दादा अथवा गुरु की ओर से दोष)।

10. मंगल के साथ राहु या केतु की युति या दृष्टि संबंध (भाई की ओर से दोष)।

11. वृश्चिक लग्न या वृश्चिक राशि में जन्म भी एक कारण होता है, क्योंकि वह राशि चक्र के अष्टम स्थान से संबंधित है।

12. शनि-राहु चतुर्थी या पंचम भाव में हो तो मातृ दोष होता है। मंगल राहु चतुर्थ स्थान में हो तो मामा का दोष होता है।

13. यदि राहु शुक्र की युति हो तो जातक ब्राहमण का अपमान करने से पीड़ित होता है। मोटे तौर पर राहु सूर्य पिता का दोष, राहु चंद्र माता दोष, राहु बृहस्पति दादा का दोष, राहु-शनि सर्प और संतान का दोष होता है।

14. इन दोषों के निराकारण के लिए सर्वप्रथम जन्मकुंडली का उचित तरीके से विश्लेषण करें और यह ज्ञात करने की चेष्टा करें कि यह दोष किस किस ग्रह से बन रहा है। उसी दोष के अनुरूप उपाय करने से आपके कष्ट समाप्त हो जायेंगे।

कुछ सामान्य उपाय

1. अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर मन्दिर में दूध, चीनी, श्वेत वस्त्र व दक्षिणा आदि दें।

2. पीपल की 108 परिक्रमा निरंतर 108 दिन तक लगाएं।

3. परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसके निमित्त पिंडदान अवश्य कराएं।

4. ग्रहण के समय दान अवश्य करें।

5. जन कल्याण के कार्य करें, वृक्षारोपण करें। जल की व्यवस्था में सहयोग दें।

6. पितृदोष निवारण के लिए विशेष रूप से निर्मित यंत्र लगाकर एक विशेष यंत्र का 45 दिन विधिवत पाठ करके गृह शुद्धि करें।

7. श्रीमद्भागवत का पाठ करें या श्रवण करें। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से हमारा परिवार जो वास्तव में उनका ही एक अंश है सुखी हो जाता है।

शुभ कार्य में अड़चन : कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कोई त्यौहार मना रहे हैं या कोई उत्सव आपके घर पर हो रहा है, ठीक उसी समय पर कुछ ना कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि जिससे रंग में भंग डल जाता है। ऐसी घटना घटित होती है कि खुशी का माहौल बदल जाता है। मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि शुभ अवसर पर कुछ अशुभ घटित होना पितरों की असंतुष्टि का संकेत है।

घर के किसी एक सदस्य का कुंवारा रह जाना बहुत बार आपने अपने आसपास या फिर रिश्‍तेदारी में देखा होगा या अनुभव किया होगा कि बहुत अच्‍छा युवक है, कहीं कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी शादी नहीं हो रही है। एक लंबी उम्र निकल जाने के पश्चात भी शादी नहीं हो पाना कोई अच्‍छा संकेत नहीं है। यदि घर में पहले ही किसी कुंवारे व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है तो उपरोक्त स्थिति बनने के आसार बढ़ जाते हैं। इस समस्‍या के कारण का भी पता नहीं चलता।

प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में दिक्कत आना : आपने देखा होगा कि कि एक बहुत अच्छी प्रॉपर्टी, मकान, दुकान या जमीन का एक हिस्सा किन्ही कारणों से बिक नहीं पा रहा। यदि कोई खरीदार मिलता भी है तो बात नहीं बनती। यदि कोई खरीदार मिल भी जाता है और सब कुछ हो जाता है तो अंतिम समय पर सौदा कैंसिल हो जाता है। इस तरह की स्थिति यदि लंबे समय से चली आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि इसके पीछे अवश्य ही कोई ऐसी कोई अतृप्‍त आत्‍मा है जिसका उस भूमि या जमीन के टुकड़े से कोई संबंध रहा हो।

संतान ना होना : मेडिकल रिपोर्ट में सब कुछ सामान्य होने के बावजूद संतान सुख से वंचित है। हालांकि आपके पूर्वजों का इससे संबंध होना लाजमी नहीं है परंतु ऐसा होना बहुत हद तक संभव है जो भूमि किसी निसंतान व्यक्ति से खरीदी गई हो वह भूमि अपने नए मालिक को संतानहीन बना देती है।

उपरोक्त सभी प्रकार की घटनाएं या समस्याएं आप में से बहुत से लोगों ने अनुभव की होंगी। इसके निवारण के लिए लोग समय और पैसा नष्ट कर देते हैं परंतु समस्या का समाधान नहीं हो पाता। क्या पता हमारे इस लेख से ऐसे ही किसी पीड़ित व्यक्ति को कुछ प्रेरणा मिले इसलिए निवारण भी स्पष्ट कर रहा हूं।

पितृ-दोष कि शांति के उपाय

1- सामान्य उपायों में षोडश पिंड दान, सर्प पूजा, ब्राह्मण को गौ -दान, कन्या -दान, कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना, मंदिर प्रांगण में पीपल, बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना एवं विष्णु मन्त्रों का जाप आदि करना, प्रेत श्राप को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ करना चाहिए।

2- वेदों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र, स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों ना हो ,शांत हो जाती है। अगर नित्य पठन संभव ना हो, तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए। वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना अच्छा होता है।

3- भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठ कर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर निम्न मंत्र की एक माला नित्य जाप करने से समस्त प्रकार के पितृ- दोष संकट बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है। मंत्र जाप प्रातः या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं

मंत्र : "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।

4- अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल बूरा ,घी एवं एक रोटी गाय को खिलाने से पितृ दोष शांत होता है।

5- अपने माता -पिता ,बुजुर्गों का सम्मान,सभी स्त्री कुल का आदर /सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

6- पितृ दोष जनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए "हरिवंश पुराण " का श्रवण करें या स्वयं नियमित रूप से पाठ करें।

7- प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दर काण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है।

8- सूर्य पिता है अतः ताम्बे के लोटे में जल भर कर, उसमें लाल फूल, लाल चन्दन का चूरा, रोली आदि डाल कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर 11 बार "ॐ घृणि सूर्याय नमः " मंत्र का जाप करने से पितरों की प्रसन्नता एवं उनकी ऊर्ध्व गति होती है।

9- अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध, चीनी, सफ़ेद कपडा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।

10- पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें अगर 108 परिक्रमा लगाई जाए तो पितृ दोष अवश्य दूर होगा। विशिष्ट उपाय

1- किसी मंदिर के परिसर में पीपल अथवा बड़ का वृक्ष लगाएं और रोज़ उसमें जल डालें। उसकी देख -भाल करें। जैसे-जैसे वृक्ष फलता -फूलता जाएगा, पितृ -दोष दूर होता जाएगा,क्योकि इन वृक्षों पर ही सारे देवी -देवता, इतर -योनियां, पितर आदि निवास करते हैं।

2- यदि आपने किसी का हक छीना है या किसी मजबूर व्यक्ति की धन संपत्ति का हरण किया है तो उसका हक या संपत्ति उसको अवश्य लौटा दें।

3- पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी एक अमावस्या से लेकर दूसरी अमावस्या तक अर्थात एक माह तक किसी पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय काल में एक शुद्ध घी का दीपक लगाना चाहिए। ये क्रम टूटना नहीं चाहिए। एक माह बीतने पर जो अमावस्या आए उस दिन एक प्रयोग और करें। इसके लिए किसी देसी गाय या दूध देने वाली गाय का थोड़ा सा गौ -मूत्र प्राप्त करें उसे थोड़े जल में मिलाकर इस जल को पीपल वृक्ष की जड़ों में डाल दें। इसके बाद पीपल वृक्ष के नीचे 5 अगरबत्ती, एक नारियल और शुद्ध घी का दीपक लगाकर अपने पूर्वजों से श्रद्धा पूर्वक अपने कल्याण की कामना करें और घर आकर उसी दिन दोपहर में कुछ गरीबों को भोजन करा दें। ऐसा करने पर पितृ दोष शांत हो जाएगा।

4- घर में कुआं हो या पीने का पानी रखने की जगह हो ,उस जगह की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें,क्योंके ये पितृ स्थान माना जाता है इसके अलावा पशुओं के लिए पीने का पानी भरवाने तथा प्याऊ लगवाने अथवा आवारा कुत्तों को जलेबी खिलाने से भी पितृ दोष शांत होता है।

5- अगर पितृ दोष के कारण अत्यधिक परेशानी हो, संतान हानि हो या संतान को कष्ट हो तो किसी शुभ समय अपने पितरों को प्रणाम कर उनसे प्रण होने की प्रार्थना करें और अपने द्वारा जाने-अनजाने में किये गए अपराध/उपेक्षा के लिए क्षमा याचना करें। फिर घर अथवा शिवालय में पितृ गायत्री मंत्र का सवा लाख विधि से जाप कराएं। जाप के उपरांत दशांश हवन के बाद संकल्प लें कि इसका पूर्ण फल पितरों को प्राप्त हो ऐसा करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं ,क्योंकि उनकी मुक्ति का मार्ग आपने प्रशस्त किया होता है।

6- पितृ दोष की शांति हेतु ये उपाय बहुत ही अनुभूत और अचूक फल देने वाला देखा गया है। उपाय है किसी गरीब की कन्या के विवाह में गुप्त रूप से अथवा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग करना | ये सहयोग पूरे दिल से होना चाहिए। केवल दिखावे या अपनी बड़ाई कराने के लिए नहीं | इस से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं, क्योंकि इसके परिणाम स्वरुप मिलने वाले पुण्य फल से पितरों को बल और तेज़ मिलता है ,जिस से वह ऊर्ध्व लोकों की ओर गति करते हुए पुण्य लोकों को प्राप्त होते हैं.|

7- अगर किसी विशेष कामना को लेकर किसी परिजन की आत्मा पितृ दोष उत्पन्न करती है तो तो ऐसी स्थिति में मोह को त्याग कर उसकी सदगति के लिए "गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र " का पाठ करना चाहिए।

8- पितृ दोष दूर करने का अत्यंत सरल उपाय : इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को अपने घर के वायव्य कोण (N -W) में नित्य सरसों का तेल में बराबर मात्रा में अगर का तेल मिलाकर दीपक पूरे पितृ पक्ष में नित्य लगाना चाहिए। दीपक पीतल का हो तो ज्यादा अच्छा है। दीपक कम से कम 10 मिनट नित्य जलना आवश्यक है।

इन उपायों के अतिरिक्त वर्ष की प्रत्येक अमावस्या को दोपहर के समय गूगल की धूनी पूरे घर में सब जगह घुमाएं, शाम को अंधेरा होने के बाद पितरों के निमित्त शुद्ध भोजन बनाकर एक दोने में साड़ी सामग्री रख कर किसी बबूल के वृक्ष अथवा पीपल या बड़ कि जद में रख कर आ जाएं। पीछे मुड़कर न देखें। नित्य प्रति घर में देसी कपूर जाया करें। ये कुछ ऐसे उपाय हैं, जो सरल भी हैं और प्रभावी भी। हर कोई सरलता से इन्हें कर पितृ दोषों से मुक्ति पा सकता है। लेकिन किसी भी प्रयोग की सफलता आपकी पितरों के प्रति श्रद्धा के ऊपर निर्भर करती है।

पितृदोष निवारण के लिए करें विशेष उपाय

नारायणबलि-नागबलि)

अक्सर हम देखते हैं कि कई लोगों के जीवन में परेशानियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती। वे चाहे जितना भी समय और धन खर्च कर लें लेकिन काम सफल नहीं होता। ऐसे लोगों की कुंडली में निश्चित रूप से पितृदोष होता है।

यह दोषी पीढ़ी दर पीढ़ी कष्ट पहुंचाता रहता है। जब तक कि इसका विधि-विधान पूर्वक निवारण न किया जाए। आने वाली पीढ़ीयों को भी कष्ट देता है। इस दोष के निवारण के लिए कुछ विशेष दिन और समय तय हैं जिनमें इसका पूर्ण निवारण होता है। श्राद्ध पक्ष यही अवसर है जब पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दोष के निवारण के लिए शास्त्रों में नारायणबलि का विधान बताया गया है। इसी तरह नागबलि भी होती है।

Event Date : 21-Jun-2021

ज्योतिष व सांईटिफिक सोच के अनुसार

ज्योतिष व सांईटिफिक सोच के अनुसार आपके यश व सफलता के लिए नीचे लिखी नौ आदतें आपके जीवन में अवश्य होनी चाहिये.

आदत नम्बर 1...

अगर आपको कहीं पर भी थूकने की आदत है तो यह निश्चित है कि यदि आपको यश, सम्मान मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा ही नहीं.

आदत नम्बर 2..

जिन लोगों को अपनी जूठी थाली या बर्तन खाना खाने वाली जगह पर छोड़कर उठ जाने की आदत होती है उनकी सफलता, कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती. ऐसे लोगों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है.

आदत नम्बर 3..

आपके घर पर जब भी कोई भी बाहर

से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी ज़रुर पिलाएं. ऐसा करने से हम राहु का सम्मान करते हैं जो अचानक आ पड़ने वाले कष्ट-संकट नहीं आने देते.

आदत नम्बर 4..

घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है. जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं, उन लोगों को Depression या Anxiety जैसी परेशानियाँ नहीं पकड़ पातीं.

आदत नम्बर 5.

जो लोग बाहर से आकर घर में अपने चप्पल, जूते, मोज़े इधर-उधर फैंक देते हैं, उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते हैं. इससे बचने के लिए अपने चप्पल-जूते करीने से लगाकर रखें, आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी.

आदत नम्बर 6.

उन लोगों का राहु और शनि खराब होगा, जिनका अपना बिस्तर उनके उठकर जाने के बाद हमेशा फैला हुआ होगा, सिलवटें ज्यादा होंगी, चादर कहीं, तकिया कहीं, कम्बल कहीं ? ऐसे लोगों की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित नहीं रहती.

आदत नम्बर 7.

पैरों की सफाई पर हम लोगों को हर वक्त ख़ास ध्यान देना चाहिए, जबकि हम में से बहुत सारे लोग पैरों को धोना या साफ करना भूल जाते हैं. नहाते समय अपने पैरों को अच्छी तरह से धोयें, जब कभी भी बाहर से घर आयें तो पांच मिनट रुककर मुँह और पैर अवश्य धोयें. आप खुद यह पाएंगे कि आपका चिड़चिड़ापन कम होगा, दिमाग की शक्ति बढे़गी और क्रोध धीरे-धीरे कम होने लगेगा और आपका आनंद और शान्ति बढ़ेगी.

आदत नम्बर 8

जो पुरुष रोज़ खाली हाथ अपने घर लौटते हैं, धीरे-धीरे उस घर से धन लक्ष्मी दूर चली जाती है और उस घर के सदस्यों में नकारात्मक या निराशा के भाव आने लगते हैं. इसके विपरीत घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो इस आदत से उस घर में बरकत बनी रहती है. उस घर में लक्ष्मी का वास होता जाता है. हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है. ऐसे घर में सुख, समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है.

आदत नम्बर 9.

थाली में जूठन बिल्कुल न छोड़ें* और ऐसी आदत अपनाने के लिए आज ही ठान लें और एकदम पक्का तय कर लें. इस आदत से आपको पैसों की कभी कमी नहीं होगी अन्यथा सभी नौ के नौ ग्रहों के खराब होने का खतरा सदैव* मंडराता रहेगा. कभी कुछ तो कभी कुछ करने योग्य फायदे वाले काम अधूरे पड़े रह जायेंगे और आपका समय व पैसा कहां जायेगा, आपको पता ही नहीं चलेगा.

मेरा मानना है कि अच्छी बातें बाँटने से किसी न किसी का फायदा तो होता ही है साथ साथ *इस तरह की ज्ञान की बहुत अच्छी बातों* का महत्त्व समझने वाले लोगों में आपकी इज़्जत भी बढ़ने की सम्भावना बनी रहती है. इसलिए इस तरह के ज्ञान बढ़ाने वाले मेसेज सबको भेजें इस प्रार्थना के साथ कि

सबका भला करो भगवान!!

Event Date : 21-Jun-2021

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